The rape story

   “ अदिति याहा क्या कर रहीं हो? , वो भी इतनी रात को ? कुछ हुवा है क्या?” 

    “ अरे पायल दी आप यहाँ!”

    “ हा नींद नहीं आराही थी तो थोड़ा टहलने के लिए आयी ऊपर, वैसे तू क्या कर रही है याहा?”

    “ कुछ नहीं बस कुछ लिख रही थी”

   “ तूने कुछ नया लिखा क्या, जरा पढ़ के सुना तो…”

“ नहीं कुछ ख़ास नहीं लिखा, छोड़ो ना आप भी”

“अरे भाई तूने लिखा है, ऐसे कैसे छोड़ दु?” चल अब सुना भी दे !”

“ ठीक है, सुनिए 

                                  कहते है के स्त्री देवी का स्वरूप होती है, अगर देवी है तो उसका बलात्कार क्यों होता है?

                                 हमेशा उसे ही पल्लू के पीछे क्यों छुपना पड़ता है ?

                                 जन्म दे वो ही, हो ५६ टुकड़े उसी के  ,

                                नोच खाये उसके अंग को भूखे दरिंदे की तरह ये इंसान, 

                                मानो वो स्त्री नहीं, कोई खाने का निवाला हो,

                                अगर देवी है तो उसके हाथ कोई शस्त्र क्यों नहीं,

                               क्यों वो संघार नहीं कर सकती उन राक्षसों का?

                             किसने निकाले उसके हाथ से शस्त्र ,और थमा दिया चूला चोखा?

                            खाना बनाये वो, घर संभाले वो , पालन पोषण संतान का करे वो,

                            घर बाहर के ताने खाये वो, पति की मार खाए वो,

                           सबका दुर्व्यवहार सहे वो, और इतना हो कर भी सबका ख़याल रखे वो,

और फिर एक दिन किन्ही दरिंदो के हाथ लगे वो, अपनी जान की भिक माँगे वो, मदत की भिक माँगे वो पर किसी के कानो तक उसकी गूंज ना जाये , और चीखते चीखते उसका दम वही घुट जाए, तब जा कर लोगो को अक़्ल आये!

……..  “ अब क्या ही बोलू, !”

“ क्या ही बोल पाओगे आप”, “ जो है सो है”.

“ तुमने लिखा तो बहुत खूब है , दिल को छू गया”

“ अक्सर ऐसी बाते तो दिल को हिला देती है, पर इस के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता”

   “ एक बात पुछू ?” अगर बुरा ना मानो तो…

“ दी आपकी बात का क्या बुरा मानना ? पूछिए 

“ मैंने कई बार सुनी है तुम्हारी कविताएँ, और कही ना कही मुझे ऐसा लगता है के तुम्हारे दिल में कुछ तो है ! क्यों के वो दर्द साफ़ साफ़ दिखता है तुम्हारी कविताओं में. अगर तुम comfortable हो तो ही बताना .”

“ hmm, दी मैं ९ साल की थी जब मेरा रेप हुवा था,  तब में बोहोत छोटी थी मुझ में  इतनी समझ नहीं थी कि मैं उस बात को समझ पाऊ. जब थोड़ी बड़ी हुई लगभग १४ साल की थी जब फिर से मेरा रेप करने की कोशिश की गई थी, तब थोड़ा बहुत समझता था तो मैंने कैसे कर के ख़ुद को बचा लिया, उस हादसे के बाद जो इंसान था उसकी वजह से दिल में इतना डर बैठ गया था ना के मैं घर में अपने बाबा अपने भाई के साथ रहने से भी डरती थी.  कभी में सोई रेहती तो वो आकर मेरे private पार्ट्स को छूता, मेरे चेस्ट को ज़ोर से दबाता और जैसे ही मुझे महसूस होता और में उठने की कोशिश करती वो मेरा मुँह दबा देता, और एक हाथ से मेरे दोनों हाथो को जोर से दबा कर रखता. और जब भी मैं कभी अपने आई को ये बात बताने जाती तो मेरे हाथों को जलाया जाता.

         और वो इंसान कोई नहीं, हमारे यहाँ किराए से रहने वाला भैया था! मेरे बचपन के वो घाव अब तक मेरे दिल पर वैसे ही है. उन हादसो ने इतना डरा दिया के अभी भी डर लगता है किसी के पास जाने से. जिसे भई माना था अगर वो ऐसी हरकत कर सकता है, तो कोई भी कर सकता है .  हमे ना हमेशा बताया जाता है के बाहर ठीक से रहना है, पर उन्हें ये नहीं पता के हमारी बेटी, हमारी बहू या बहन घर पर भी सुरक्षित नहीं है ! ये एक हादसा नहीं जो हूवा है, कई हादसे है . कई बार भीड़ में किसी ने चेस्ट को दबा दिया किसी के पीछे से पकड़ने की कोशिश की. किसी ने काम से बदले एक रात माँगी, किसी ने बिना कपड़ों की फोटो माँगी! और ये ना हमेशा चलता ही रहेगा, ये रुकने वाला है नहीं . और गलती भी हम पर ही आती है के हम बहुत हस कर बाते करते है, छोटे कपड़े पहनते है , मर्दों की बराबरी करने की कोशिश करते है . कभी कोई ये नहीं कहता के उसकी नीयत ख़राब थी , उस की गलती थी . एक लड़की को कोई नहीं समझ पाता, जिस से प्यार किया उसने भी ये बात सुन कर मुझे छोड़ दिया क्यों के २० साल पहले मेरा रेप हुवा था ! इस युग में किसी द्रौपदी के लिए कोई कृष्ण नहीं.  एक औरत सब कुछ सह लेती है क्यों के उस में उतनी क्षमता होती है, पर वही सहनशीतला उसकी दुश्मन बन जाती है! 

    आपको पता है मैं आज ज़िंदा ही तो बस इन कविताओं के भरोसे, यही है जिन्होंने मुझे आज तक ज़िंदा रखा है . वरना मैं तो कब की चली जाती . इंसान इंसानियत भूल चुका है दीदी, अब ये दुनिया इंसानों की नहीं सिर्फ़ मासभक्षी की है जहां कोई ना कोई हर रोज़ किसी का शिकार बन रहा है ! लोगो को अंदाज़ा ही नहीं के उनके एक ग़लत कदम से कितनो की ज़िंदगी बर्बाद हो गई! लगता था के सुंदर होने के कारण ये चीज़ होती होगी, तो मैंने ख़ुद को बदसूरत बनाने की कोशिश की अपना वजन बढ़ाया , लोगो के किया मज़ाक़ सहन किया पर उस से भी कुछ नहीं, उल्टा लोगो ने और कोशिश की बतमिज़ी करने की . उस दिन ये सबक़ मिला के हवस कभी सूरत कपड़े या धर्म नहीं देखता, बास देखती है तो हुस्न की प्यास किस से बुझेगी . 

          “ उस दिन अदिति ने दिल खोल कर बात की, उसकी बाते सुन कर बस यही कह सकती ही के हर हस्ता चेहरा हमेशा ख़ुश नहीं होता, कई बार उसके पीछे बहुत ख़तरनाक राझ छुपे होते है” जब कोई ना बोलने वाला इंसान दिल खोल कर बात करता है तब बोलने वाले इंसान की बोलती बंद हो जाती है उसकी कहानी सुन कर, जैसे मेरी उस दिन हुई थी” लगने लगा है के जिस के साथ सालो से रेह रही थी उसे तो मैं जानती ही नहीं थी , कितना कुछ सहा है उसने फिर भी उसने जीना नहीं छोड़ा . 

  

Comments

  1. Agar ladki itna suffer ho rahi he toh ghrme me khudke bhai ya papa pe bhrosa Krna b kitna mushkil hojata hai ladkiyo ke liye🙂

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts